जल ऋतू और प्रेम

तोरी प्रीत में पगली
सगरी नगरी

तू लौटी तो पीछे पीछे
आई दौड़ी
श्यामा बदरी

आनंद में झूमी ऐसी देखो
छलकी उसकी
मटमैली गगरी

हुई सराबोर सब राहें, ऐसी
लहरा लहरा के
बरखा बरसी

तू लौटी तो संग में लाइ
प्रेम कथाओं
की गठरी

उस गठरी की सबसे प्रियकर
एक जोड़ी की
देख अठखेली

प्रणय को दर्शाने को दोनों
बोलते अनोखी
नृत्य की बोली

ये झूमता धरनी पर
जो वो अम्बर पे
आकर थिरकती

कहता जगत देख के इनको
प्रेम की परिभाषा
हैं ये दो प्रेमी

एक है मेघा एक मयूर है
एक है अनोखी
प्रेम कहानी

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