चाह नही मैं कैटरिना के
तलवों से लिपट के बलखाऊँ
चाह नही मैं धोनी के
कदमों को सरपट दौडाऊँ
चाह नही की सुरबाला के
पैरों को चूमुं, इतराऊँ
चाह नही बुढे काका को
बाग़-बगीचे दिखलाऊँ
मुझे निकाल पग से हे जनता
उसके सर पर तुम देना फेंक
जो नेता नही किसी काम का
बस झूठे वादे करे अनेक
(माखनलाल चतुर्वेदी की कविता "पुष्प की अभिलाषा" की पंक्तियों से प्रेरित)
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