खबर चली

उमंग की छलांग है
हर्षावेश हर उछाल है
सूचित सिन्धु भी
हुआ है शायद
तभी तो यूँ मचल रहा
झूम के छलक रहा
जश्न में मसरूफ़ सा
दिख रहा हर हिलकोरा
सब कुचे नुक्कड़ गलियारे
रौशनी में भीगे, तर-बतर से
दूज के चाँद सी मुस्कान लिए
मीठी मीठी कुछ बातें लिए
ताक़ रहें हैं शहर के
खुलते, बंद होते दरवाज़ों को
और ये भँवरे बाँवरे
छोड़ कमल को
चले खिलाने धुन की कली
लगता है तेरे आने की
मेरे मोहल्ले में खबर चली

1 comment:

Megha Pathak said...

It's Wonderful to find someone waiting for you